शीर्षक बनो तुम रचना के अक्षर बनने में रखा क्या है। शीर्षक बनो तुम रचना के अक्षर बनने में रखा क्या है।
देख लगे तुम अजर-अमर हो। कौन कहेगा तुम नश्वर हो? ख़त्म न हो वह संचित ज़र हो। अच्युत है सौंदर... देख लगे तुम अजर-अमर हो। कौन कहेगा तुम नश्वर हो? ख़त्म न हो वह संचित ज़र हो।...
आजकल लोग प्यार व दोस्ती के दावे तो करते हैं लेकिन ज़्यादातर की हकीकत क्या होती है... आजकल लोग प्यार व दोस्ती के दावे तो करते हैं लेकिन ज़्यादातर की हकीकत क्या होती है...
सत्य ही मंत्र बन जाता है पर झूठ में आकर्षण होता है वह स्त्री नहीं ,काली बन जाती है। सत्य ही मंत्र बन जाता है पर झूठ में आकर्षण होता है वह स्त्री नहीं ,काली बन...
मन में जो विचार आते थे उनको, लिखकर भैया को मैं दिखाता था, शब्दों के लिए प्यारी शाबासी, मन में जो विचार आते थे उनको, लिखकर भैया को मैं दिखाता था, शब्दों के लिए प्यार...
ज़िन्दगी छोटी सही... नायाब तोहफ़ा है; सलीक़े से जी पाओ तो कुछ बात बने ! ज़िन्दगी छोटी सही... नायाब तोहफ़ा है; सलीक़े से जी पाओ तो कुछ बात ...